बिहार के मुज़फ्फ़रपुर ज़िला में चीफ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आदेश पर सुधीर कुमार एडवोकेट की याचिका पर जिन 49 मशहूर हस्तियों के ख़िलाफ़, राजद्रोह, धार्मिक आस्था और शांतिभंग करने की साज़िश रचने और देश और प्रधानमंत्री के अच्छे कामों को बदनाम करने के आरोपों में पिछले सप्ताह पर्चा काटा गया है, उस पर पाकिस्तानी मीडिया में सिवाय डॉन अख़बार को छोड़ कर इसलिए ज़्यादा चर्चा नहीं हुई क्योंकि चर्चा करने के लिए इन हस्तियों और इनके काम को जानना ज़रूरी है.
भारतीय मीडिया में इसलिए बहुत ज़्यादा चर्चा नहीं हुई क्योंकि भारतीय मीडिया इन हस्तियों के बारे में जाने ना जाने सरकार को अच्छे से जानती है.
इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री के नाम यह खुला ख़त लिखा कि दलितों और मुसलमानों समेत अल्पसंख्यकों की लिंचिंग की प्रधानमंत्री सिर्फ़ निंदा ना करें बल्कि इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की रोशनी में ठोस क़दम भी उठाएं.
इसके अलावा सरकार से असहमति को एंटी नेशनल नहीं बल्कि लोकतंत्र का हिस्सा समझा जाए वग़ैरह-वग़ैरह.
इस खुले ख़त पर भारतीय संविधान के लिए राज्यसभा चैनल के लिए ऐतिहासिक सीरिज़ के डायरेक्टर और फ़िल्म जगत का सबसे महान दादा साहेब फाल्के अवार्ड पा चुके श्याम बेनेगल ने भी हस्ताक्षर किए थे |